खाना हज़म होने का इलाज

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 फाका व तंगी से हिफाज़त

क्रमांक विभाग विवरण
1 फाका व तंगी से हिफाज़त
  • इलाज
  • फरिश्तों की दुआ लेना
2 रिज़्क़ की कुशादगी की तदबीर
  • उमदतुल अहकाम में रिवायत
  • फायदा
3 बरकत हासिल करने का अमल
  • इलाज
  • फायदा
4 खाना हज़म होने का इलाज
  • इलाज
  • फायदा
5 दिल की ताकत का इलाज
  • इलाज
6 मक्खी के ज़हर से शिफा
  • इलाज


इलाज - साहिब "मतालिबुल मोमिनीन" ने हज़रत अली रजि० से रिवायत दर्ज की है कि जब किसी आदमी को गुस्ल करने की ज़रूरत आ पड़े तो उसे चाहिए कि बिना कुल्ली किए खाना न खाए। क्योंकि ऐसा करने से फाका व तंगी और मोहताजी के आने का ख़तरा है।


फरिश्तों की दुआ लेना

इलाज - बुस्तान और दूसरी किताबों में हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ि० से रिवायत है कि नबी करीम सल्ल० ने इर्शाद फरमाया कि जो आदमी खाना खाने के बाद बर्तन को चाट कर साफ कर देता है तो वह बर्तन उसके लिए दुआ करता है कि अल्लाह इस आदमी को आग से नजात दे। जिस प्रकार इसने मुझे शैतान के हाथ से नजात दिलाई। नबी सल्ल० ने फरमाया कि अल्लाह के फरिश्ते उस आदमी के लिए दुआ करते हैं जो खाने के बाद अपनी उंगलियां चाट लेता है। इस अमल से इन्सान के घमंड का भी बेहतरीन इलाज हो जाता ।


रिज़्क़ की कुशादगी की तदबीर


रिज़्क़ की कुशादगी की तदबीर









उमदतुल अहकाम में रिवायत है कि नबी सल्ल० का इर्शाद है कि जो आदमी दस्तरख़्वान पर से गिरी हुई चीज उठा कर हमेशा खा लिया करे उसके रिज़्क में कुशादगी होती रहेगी। हज़रत जाबिर रजि० ने नबी करीम सल्ल० से रिवायत की है कि खाने के समय जब कोई लुक्मा गिर जाए तो उसको उठा कर और साफ करके खा लेना चाहिए और उसे शैतान के लिए न छोड़ना चाहिए। फायदा - इस हदीस से मालूम हुआ कि यह अमल घमंड का भी बड़ा अच्छा इलाज है। कुछ दूसरी हदीसों में है कि जो आदमी भी दस्तरख़्वान से गिरी हुई चीज़ उठाकर खाता है तो वह जन्नत की हूरों के लिए महू हो जाएगा और अल्लाह तआला उसे और उसकी औलाद को कोढ़, सफेद दाग और जुनून की बीमारी से महफूज़ रखेगा।


बरकत हासिल करने का अमल

इलाज – उमदतुल अहकाम में रिवायत है कि नबी सल्ल० ने फरमाया कि ऐ लोगो ! जमा होकर खाना खाया करो। इस तरह अल्लाह बरकत प्रदान करेगा। हज़रत जाबिर रजि० से रिवायत है कि नबी सल्ल० ने फरमाया कि सबसे बेहतर और उम्दा खाना वह है जिसमें ज़्यादा हाथ डाले जाएं और हुजूर सल्ल० का इर्शाद है कि सबके साथ खाने में शिफा है और इर्शाद है कि बहुत बुरे वे लोग हैं जो अकेले खाएं और अपनी लौंडी को मारें और अपनी बख़्शिश को बन्द करें और निकाह करें हाथ से अर्थात् जलक (मुश्तज़नी) करें।बुसतान में है कि नबी सल्ल० ने फरमाया कि खाना ठंढा करके खाना चाहिए क्योंकि गर्म खाने में बरकत नहीं होती। फायदा - कुछ किताबों में लिखा है कि गर्म खाने से मेदा कमजोर हो जाता है।


खाना हज़म होने का इलाज

इलाज - अबू दाऊद में उम्मे मअबद रजि० से रिवायत है। कि नबी सल्ल० ने इर्शाद फरमाया कि सिरका बेहतरीन सालन है ऐ खुदा ! सिरके में बरकत प्रदान कर।


खाना हज़म होने का इलाज








फायदा - जामेअ कबीर में लिखा है कि सिरके में यह विशेषता है कि यह खाने को हज़म करता है। इब्ने हिब्बान ने अता से और उन्होंने हज़रत इब्ने अब्बास रजि० से रिवायत की है कि नबी सल्ल० के निकट तमाम सालनों में सबसे प्यारा सालन सिरका है। हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ि० से रिवायत है कि सिरका बेहतरीन सालन है और नबी करीम सल्ल० को हरी तरकारियां भी बहुत अधिक पसन्द थीं। कन्जुल इबाद में है कि इसमें यह हिकमत है कि जिस दस्तरख्वान पर हरी तरकारी होती है वहां फरिश्ते आते हैं।



दिल की ताकत का इलाज

इलाज - मसरूक कहते हैं कि मैं एक बार हज़रत आईशा रजि० के पास हाज़िर हुआ। मैंने देखा कि उनके पास एक अंधा आदमी बैठा हुआ था और हज़रत आईशा रजि० तुरंज (बड़ा नींबू या चकोतरा) का टुकड़ा शहद में लगाकर उसको खिला रही थी (वह हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मक्तूम थे)। मैंने मालूम किया "उम्मुल मोमनीन" यह कौन हैं? प्रमाया कि यह वह शख़्स है जिसकी वजह से अल्लाह तआला ने अपने नबी पर गुस्सा किया था। अबू नईम ने यह हदीस किताबुत्तिव में नकल की है। इस हदीस के बारे में शारेह (व्याख्या करने वालों ने) लिखा है कि तुरन्ज शहद के साथ नहार मुंह खाना दिल व दिमाग़ के लिए बड़ा ही मुफीद है।


मक्खी के ज़हर से शिफा

मक्खी के ज़हर से शिफा


इलाज - नसाई ने अबू सईद खुदरी से रिवायत की है कि नबी सल्ल० ने फरमाया है कि खाने में यदि मक्खी गिर जाए तो उस खाने में मक्खी को डुबो दे क्योंकि उसके एक पर में ज़हर है और दूसरे में शिफा है और मक्खी की यह आदत है कि पहले वह ज़हर वाला पर ही डुबोती है। इस हदीस को अबू दाऊद ने हज़रत अबू हुरैरः रज़ि० से नकल किया है।

इस हदीस से पता चला कि मक्खी क्योंकि ज़हर वाला पर पहले डुबोती है। इसलिए डुबकी देकर दूसरा पर भी खाने में डुबो दिया जाए ताकि जहर का तोड़ हो जाए और खाने को ज़हर के अस्रात से बचा लिया जाए।



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